श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत से पानी टपकने की अफवाहें झूठी !

श्रीराम मंदिर के गर्भगृह और परिसर में पानी टपकने की अफवाहों पर चम्पत राय (महामंत्री श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र) का स्पष्टीकरण

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत से पानी टपकने की अफवाहें झूठी !

अयोध्या- श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत से पानी टपकने की खबरों को मंदिर प्रबंधन ने झूठा करार दिया है। मंदिर के महामंत्री चम्पत राय ने एक बयान जारी कर बताया कि गर्भगृह, जहाँ भगवान रामलला विराजमान हैं, वहाँ एक भी बूंद पानी नहीं टपका है और न ही कहीं से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है।

चम्पत राय ने बताया कि गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में स्थित गूढ़मण्डप की छत का निर्माण कार्य प्रगति पर है। यह मंडप द्वितीय तल की छत के ऊपर जाकर ढंका जाएगा, जिसके बाद किसी भी प्रकार के पानी के प्रवेश की संभावना समाप्त हो जाएगी। मण्डप का क्षेत्र 35 फीट व्यास का है और इसे अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढक कर दर्शन कराये जा रहे हैं।

चम्पत राय ने बताया  रंग मंडप और गूढ़ मंडप के बीच दोनों तरफ उत्तर और दक्षिण दिशा में ऊपरी तल पर जाने की सीढ़ियाँ हैं, जिनकी छत भी द्वितीय तल की छत के ऊपर जाकर ढँकेगी। यह कार्य भी प्रगति पर है।

मंदिर में बिजली के कन्ड्युट और जंक्शन बॉक्स का कार्य पत्थर की छत के ऊपर होता है। प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग और फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है, जिसके कारण पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर गिरा, जिससे छत से पानी टपकने का भ्रम हुआ। इन सभी कार्यों के पूरा होते ही कोई भी पानी का प्रवेश नहीं होगा।

मंदिर और परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी के लिए उत्तम प्रबंध किया गया है। पूरे परिसर को शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन किया गया है और रिचार्ज पिटों का निर्माण कराया जा रहा है।

मंदिर और परकोटा निर्माण कार्य भारत की प्रतिष्ठित कंपनियों L&T और टाटा के इंजीनियरों के साथ आशीष सोमपुरा और अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख में हो रहा है, जिससे निर्माण कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित है। उत्तर भारत में यह पहला अवसर है जब केवल पत्थरों से मंदिर निर्माण हो रहा है, जिससे मन विचलित होने की आवश्यकता नहीं है।

प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रतिदिन लगभग एक लाख से अधिक भक्त रामलला के बाल रूप के दर्शन कर रहे हैं। दर्शन का समय प्रातः 6.30 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक है। मंदिर में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है, जिससे दर्शन में बाधा न हो और सुरक्षा सुनिश्चित हो।