कई विभागों में हडक़ंप , मेघा इंजीनियरिंग बन सकती है कई के लिए मुसीबत !

मप्र के कई आला अफसर सीबीआई के जद में !

कई विभागों में हडक़ंप , मेघा इंजीनियरिंग बन सकती है  कई के लिए मुसीबत !

भोपाल- देश की दूसरी सबसे बड़ी इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदार कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ कथित तौर पर रिश्वत देने के आरोप में सीबीआई ने एक प्रकरण दर्ज किया है।  इस घटना से मप्र में के कई विभागों में हडक़ंप मच गया है। सूत्रों का कहना है की मप्र के कई आला अफसर सीबीआई के जद में आ गए हैं। दरअसल मप्र के पूर्व मुख्य सचिव गोपाल रेड्डी नर्मदा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष थे, तब से लेकर काफी समय तक मुख्य सचिव इकबाल सिंह बेंस की मेहरबानी से मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने मध्य प्रदेश में जल संसाधन विभाग में व्यावहारिक रूप से एंट्री ली थी। इस कंपनी में 966 करोड़ रुपए के चुनावी चंदा भी इलेक्ट्रोल बॉन्ड के माध्यम से अलग-अलग पार्टियों को दिया है।

जानकारी के अनुसार सीबीआई द्वारा उपरोक्त कंपनी पर प्रकरण दर्ज करने बाद मप्र के जल संसाधन एवं नर्मदा विकास प्राधिकरण दोनों विभागों में जांच बढ़ेगी। साथ ही सीबीआई मप्र के कुछ पूर्व और वर्तमान अधिकारियों से भी पूछताछ कर सकती है। इस घटना के बाद मप्र के पूर्व आला अफसरों के बीच हडक़ंप मचा हुआ है। दरअसल, प्रदेश के कई आला अफसरों व नेताओं की कंपनी पर विशेष मेहरबानी है। कंपनी के पास वर्तमान में नर्मदा घाटी विकास विभाग के तीन हजार करोड़ से अधिक के कार्य हैं। सीबीआई की कार्रवाई के बाद जल संसाधन व नर्मदा घाटी विकास विभाग में हडक़ंप की स्थिति है। एक सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता तो कंपनी के लिए पेड वर्कर की तरह कार्य करते थे। अधिकारियों को डर इस बात का है मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ की गई शिकायतों की यदि सीबीआई ने जांच शुरू कर दी तो अफसरों की मुश्किलें बढ़ना तय है।  

रूक सकते हैं मप्र में चल रहे काम

लंबे समय से कंपनी के खिलाफ कई शिकायते केंद्र तथा राज्य सरकारों के पास लंबित थीं। सीबीआई की कार्रवाई के बाद अन्य जांच एजेंसियां भी सक्रिय हो सकती हैं। मध्यप्रदेश की जांच एजेंसियों के पास भी शिकायतें लंबित हैं, लेकिन कंपनी पर नेताओं व अफसरों की विशेष मेहरबानी के कारण अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जल संसाधन तथा नर्मदा घाटी विकास विभाग के अधिकारियों में डर इस बात का है कि यदि लंबित शिकायतों की जांच होगी तो कुछ अफसरों पर कार्रवाई तय है। वहीं कंपनी के खिलाफ कुछ शिकायतें सीबीआई तक भी पहुंची है। देखना है कि सीबीआई उन शिकायतों पर कोई कार्रवाई करती है या नहीं। आगे कार्रवाई क्या होगी, इस बारे में तो कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन सीबीआई की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद कंपनी के मध्यप्रदेश में चल रहे कार्यों की गति रूक सकती है। नर्मदा घाटी विकास विभाग के अधिकारियों को यह चिंता सबसे अधिक सता रही है।

कंपनी पर दो प्रकरण दर्ज

उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने गत दिनों  हैदराबाद में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ कथित तौर से रिश्वत लेने का मामला दर्ज किया है। सीबीआई सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में इंट्रीग्रेटेड स्टील ब्रांड से संबंधित मामलों को निपटाने के लिए कथित तौर पर 74 लाख रुपए की रिश्वत दी थी। इस मामले में सीबीआई ने इस्पात मंत्रालय के तहत आने वाली कंपनी एनएमडीसी आयरन एंड स्टील प्लांट के आठ तथा मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ केस दर्ज किया है। सीबीआई ने यह कार्रवाई एनएसपी के लिए 315 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट में गड़बड़ी को लेकर की है। दो सप्ताह के भीतर मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रायवेट लिमिटेड के खिलाफ दो प्रकरण दर्ज होने से सभी हतप्रभ हैं कि आखिरकार यह सब क्यों हो रहा है।